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    दिल्ली के 100 दिन: BJP vs AAP, दिल्ली में कौन बेहतर


    दिल्ली में सत्ता संभालने के बाद भारतीय जनता पार्टी की नवगठित सरकार ने अपने 100 दिन पूरे कर लिए हैं. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में शपथ ग्रहण के साथ ही 20 फरवरी से कामकाज की शुरुआत हुई थी. अब सवाल यह उठ रहा है कि इन शुरुआती 100 दिनों में सरकार ने क्या ठोस कदम उठाए हैं और किस हद तक जनता की उम्मीदों पर खरी उतरी है? तुलना साफ़ तौर पर आम आदमी पार्टी के दस वर्षों के शासनकाल से की जा रही है.

    2015 में जब आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा की 70 में से 67 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी, तो उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं को प्राथमिकता दी थी. वहीं 2025 में बीजेपी ने AAP के गढ़ को चुनौती देते हुए 48 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की और कानून-व्यवस्था, आधारभूत ढांचे और महिला सुरक्षा को अपने एजेंडे में शामिल किया.
    आम आदमी पार्टी ने पहले 100 दिनों में शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाए थे — देशभक्ति पाठ्यक्रम, मोहल्ला क्लीनिक का विस्तार और सरकारी स्कूलों में अत्याधुनिक सुविधाएं. वहीं बीजेपी सरकार ने 'स्मार्ट स्कूल मिशन' की शुरुआत की है, जिसमें शिक्षा में तकनीक और AI के समावेश पर जोर दिया गया है. लेकिन आलोचकों का मानना है कि गति की दृष्टि से यह प्रयास पिछड़ते दिख रहे हैं.

    बीजेपी सरकार ने अपने शुरुआती दिनों में शहरी विकास पर फोकस रखा है.  उत्तरी और बाहरी दिल्ली में सड़कों की मरम्मत, मेट्रो विस्तार की गति और नगर निगम में स्वच्छता ऑडिट की पहल इस दिशा में अहम कदम माने जा रहे हैं. इसके विपरीत, आप सरकार की शुरुआत सामाजिक ढांचे के निर्माण पर केंद्रित थी — जैसे मोहल्ला क्लीनिक और इलेक्ट्रिक बसें. 
    बीजेपी सरकार ने महिला सुरक्षा को शीर्ष प्राथमिकता दी है.  संवेदनशील क्षेत्रों में 'निर्भया पेट्रोलिंग यूनिट' की तैनाती और एआई-आधारित निगरानी कैमरे इस योजना का हिस्सा हैं. दिल्ली पुलिस के साथ समन्वय बढ़ाने के प्रयास भी हुए हैं. जबकि आप सरकार के समय सीसीटीवी कैमरे तो लगे थे, लेकिन पुलिस की जवाबदेही पर सवाल उठते रहे. 

    आप सरकार ने पानी और बिजली पर मुफ्त सेवाएं देकर जनता को राहत पहुंचाई थी. वहीं बीजेपी सरकार ने इन्हें फिलहाल जारी रखते हुए इनकी समीक्षा शुरू की है. बजट सत्र में मुख्यमंत्री ने सब्सिडियों की वित्तीय स्थिरता पर श्वेत पत्र लाने की बात कही थी. बीजेपी का जोर प्रदर्शन-आधारित लाभ देने पर है.

    सरकार के शुरुआती फैसलों पर विपक्ष में बैठी आम आदमी पार्टी लगातार हमलावर है. मनीष सिसोदिया सहित कई नेता सरकार से सवाल पूछ रहे हैं — नए मोहल्ला क्लीनिक कहां हैं?,महिला छात्रावासों का वादा क्या हुआ? वहीं बीजेपी समर्थकों का दावा है कि बदलाव की नींव रखी जा रही है और परिणामों के लिए कुछ समय देना जरूरी है.

    जहां एक तरफ भाजपा सरकार के समर्थक इसे "बदलाव की शुरुआत" मानते हैं, वहीं आलोचक इसे पहले की योजनाओं की री-पैकेजिंग बता रहे हैं. बुनियादी ढांचे पर बढ़ता निवेश और दीर्घकालिक योजनाओं का वादा तो है, लेकिन आम जनता अब भी बिजली, पानी और स्वास्थ्य जैसी फौरी राहतों की तुलना पुरानी सरकार से कर रही है. आने वाला समय तय करेगा कि यह नई शुरुआत वास्तव में नई दिशा में ले जाती है या नहीं.

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