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    उत्तराखंड का एक ऐसा मंदिर, जहां चिट्ठी लिखने से मिल जाता है न्याय

    भारत एक धार्मिक आस्था और विविध मान्यताओं वाला देश है. यहां हज़ारों मंदिर हैं, और हर मंदिर की अपनी एक अलग मान्यता और परंपरा है. कुछ मंदिरों में लोग अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करते हैं, तो कुछ मंदिरों में विशेष रूप से विवाह, संतान या सफलता की कामना की जाती है. लेकिन उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित एक अनोखा मंदिर है, जहां लोग मुरादें नहीं, बल्कि शिकायतें लेकर जाते हैं. यह मंदिर है — गोलू देवता मंदिर, जिसे न्याय के देवता के रूप में जाना जाता है. यह मंदिर न सिर्फ उत्तराखंड, बल्कि पूरे देश में अपनी अनूठी परंपरा और विश्वास के लिए प्रसिद्ध है. 

    गोलू देवता को गौर भैरव के रूप में पूजा जाता है. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, उन्हें भगवान शिव और भगवान कृष्ण दोनों का अवतार माना जाता है. इन्हें न्यायप्रिय, तेजस्वी और अत्यंत करुणामयी देवता माना जाता है, जो अपने भक्तों की हर समस्या का समाधान करते हैं. गोलू देवता मंदिर की सबसे विशेष बात यह है कि यहां लोग अपनी समस्या या अन्याय की शिकायत कागज़ या स्टांप पेपर पर लिखकर लाते हैं. यह परंपरा एक प्रतीकात्मक न्याय प्रणाली जैसी है, जहां भक्त सीधे देवता को अपनी बात पहुंचाते हैं. माना जाता है कि गोलू देवता सभी शिकायतों को सुनते हैं और समय आने पर उचित न्याय देते हैं. 

    जब किसी भक्त की शिकायत पर न्याय मिलता है या उसकी मनोकामना पूरी होती है, तो वह इस मंदिर में आकर घंटी चढ़ाता है. यही वजह है कि मंदिर के परिसर में हर आकार और धातु की हजारों घंटियां टंगी हुई दिखाई देती हैं. इन घंटियों की गूंज यह बताती है कि यहां हजारों लोगों की फरियाद सुनी और पूरी की गई है. नवरात्रि और अन्य धार्मिक पर्वों के दौरान इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. देश के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं, कुछ न्याय मांगने तो कुछ धन्यवाद कहने.  उत्तराखंड को वैसे ही देवभूमि कहा जाता है, लेकिन गोलू देवता का मंदिर इस पहचान को एक और आयाम देता है. यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह आस्था, न्याय और श्रद्धा का प्रतीक बन चुका है. जहां आज भी न्याय के लिए लोग अदालतों के चक्कर काटते हैं, वहीं गोलू देवता के दरबार में बिना वकील और बिना दलीलों के सिर्फ विश्वास के साथ फरियाद रखी जाती है.

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