आखिर कौन है DG ISPR अहमद शरीफ चौधरी ?
पाकिस्तान और आतंकवाद के रिश्ते अब किसी पर्दे के पीछे नहीं हैं। ये ऐसा सच है जो पूरी दुनिया के सामने बेनकाब हो चुका है। और इस कड़वे सच का सबसे ताज़ा चेहरा है – लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी, जो इस वक्त पाकिस्तान के DG ISPR हैं। यानी पाकिस्तान की सेना का वो प्रवक्ता, जो दुनिया के सामने सेना का चेहरा बनने का दावा करता है। लेकिन हकीकत में, चौधरी एक प्रवक्ता नहीं प्रोपेगेंडा का सबसे बड़ा औज़ार बन चुके हैं।
हाल ही में उन्होंने भारत पर गंभीर आरोप लगाए – कहा कि भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान आम नागरिकों, मस्जिदों और नीलम-झेलम प्रोजेक्ट पर हमला किया। उन्होंने 26 नागरिकों की मौत का दावा भी कर दिया। लेकिन भारत ने इन सभी आरोपों को तथ्यों और सबूतों के साथ खारिज कर दिया। PIB, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और अनेक स्वतंत्र फैक्ट-चेकिंग संस्थाओं ने साफ कहा – भारत ने केवल आतंकी अड्डों को निशाना बनाया था, जो जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के थे।
लेकिन DG ISPR चौधरी की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। इसे समझने के लिए हमें उनके अतीत में झांकना होगा।
अहमद शरीफ चौधरी के पिता थे –सुल्तान बशीरुद्दीन महमूद.. एक समय पाकिस्तान के सम्मानित परमाणु वैज्ञानिक थे। लेकिन विज्ञान से कट्टरपंथ की ओर उनका झुकाव खतरनाक मोड़ ले गया। महमूद की मुलाकातें होने लगीं दुनिया के सबसे क्रूर आतंकवादी ओसामा बिन लादेन से। और यहीं से शुरू हुआ एक ऐसा सिलसिला, जिसने पूरी दुनिया को दहला दिया।
महमूद ने कोशिश की थी – अल-कायदा को परमाणु हथियार बनाने की तकनीक देने की। 2001 में, 9/11 हमलों के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कर दिया।
उन्होंने एक संगठन बनाया – "उम्माह तमीर-ए-नौ", जो बाहर से तो NGO लगता था, लेकिन असल में वह आतंकियों को परमाणु और जैविक हथियारों की ट्रेनिंग देने वाला नेटवर्क था। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने जब इस रहस्य से पर्दा उठाया तो पूरी दुनिया दंग रह गई।
OFAC (Office of Foreign Assets Control, USA) ने उन्हें 'Global Terrorist' घोषित किया और उनके पते को काबुल स्थित अल-कायदा के सुरक्षित ठिकाने के रूप में दर्ज किया।
अब सोचिए – एक ऐसा व्यक्ति जिसने आतंकवाद को हथियार से जोड़ा, उसी का बेटा आज भारत के खिलाफ खुलेआम झूठ फैला रहा है। वो मंच पर खड़ा होकर पाकिस्तान को आतंक का 'शिकार' बताता है, लेकिन उसके खून में आतंक की विचारधारा बह रही है।
DG ISPR चौधरी सिर्फ प्रवक्ता नहीं हैं। वे उस व्यवस्था का चेहरा हैं, जो आतंक को नीति मानती है, और झूठ को हथियार।
उनकी आवाज़ में पाकिस्तान की सेना की वही पुरानी स्क्रिप्ट है – खुद को बेचारा बताने की और दुनिया को गुमराह करने की। लेकिन आज के दौर में सच छिपाया नहीं जा सकता। जब पिता की परछाईं ओसामा तक जाती हो, तो बेटे की ‘प्रेस कॉन्फ्रेंस’ भी सिर्फ दिखावा लगती है।
जैसे कीचड़ और गंदा पानी आपस में मिलकर एक हो जाते हैं, वैसे ही पाकिस्तान की सेना और आतंकवादी नेटवर्क अब अलग-अलग नहीं देखे जा सकते। उन्हें अलग मानना, खुद को धोखा देना होगा।
एक टिप्पणी छोड़ें