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    कास्ट सेंसस की चाल: बीजेपी का मंडल-कमंडल मास्टरस्ट्रोक?"

    केन्द्र सरकार ने अब जनगणना के साथ–साथ जाति आधारित जनगणना कराने का ऐलान किया है। यह फैसला भारतीय राजनीति खास तौर पर उत्तर प्रदेश की राजनीति में अहम मोड़ माना जा रहा है। इसे 2027 के विधानसभा चुनाव की रणनीति से जोड़ कर देखा जा रहा है। 

    जहां समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने पीडीए को एक मजबूत सामाजिक गठजोड़ के रूप में पेश किया है। माना जा रहा है कि मोदी सरकार ने यह फैसला लेकर विपक्ष का सबसे बड़ा मुद्दा ही छीन लिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी अब लंबे समय से जाति जनगणना की मांग कर रहे थे और इसे अपनी पार्टी का प्रमुख मुद्दा बना चुके थे। 

    विपक्ष भी इसे बीजेपी के खिलाफ एक बड़ी नैरेटिव के रूप में इस्तेमाल कर रहा था लेकिन अब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे मंजूरी दे दी है तो विपक्ष के लिए यह मुद्दा उतना असरदार नहीं रह गया है। हालांकि विपक्ष अब इसे अपनी जीत बता रहा है। 

    राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि उनके लगातार दबाव का असर हुआ और सरकार को झुकना पड़ा। उन्होंने इसे कांग्रेस की जीत बताया। वहीं अखिलेश यादव ने इस फैसले को पीडीए के दबाव का नतीजा बताते हुए इसे 100 प्रतिशत सफलता कहा। 

    इस फैसले से साफ है कि आने वाले चुनाव में जाति आधारित राजनीति और सामाजिक न्याय का मुद्दा और भी ज्यादा चर्चा में रहेगा। केन्द्र सरकार के इस कदम में चुनावी समीकरणों में बड़ा बदलाव हो सकता है। 

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