मनोज कुमार का निधन, सिनेमा ने खोया अपना सच्चा नायक
भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता, निर्माता और निर्देशक मनोज कुमार ने हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह दिया है. एक्टर ने 87 साल की उम्र में कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अंतिम सांस ली. देशभक्ति और समाज के गंभीर विषयों को अपनी फिल्मों के माध्यम से पेश करने वाले वेटेरन एक्टर को दुनिया ‘भारत कुमार’ भी कहकर पुकारती थी. उनकी मौत से सिनेमा जगत में शोक की लहर है
मनोज कुमार न केवल हिंदी सिनेमा के महान अभिनेता हैं, बल्कि देशभक्ति और सामाजिक चेतना के प्रतीक हैं। उन्होंने जो स्थान अपनी ईमानदारी और समर्पण से पाया है, वह बहुत कम कलाकारों को मिलता है। उनकी फ़िल्में आज भी लोगों के दिलों में ज़िंदा हैं और देशभक्ति के भाव को जागृत करती हैं। उनकी पहली फिल्म थी "फैशन" (1957), लेकिन पहचान मिली 1961 की फिल्म "काँच की गुड़िया" और "शहीद" से। शहीद में उन्होंने भगत सिंह की भूमिका निभाई थी, जो दर्शकों के दिलों में उतर गई। पूरब और पश्चिम, रोटी, कपड़ा और मकान, क्रांति, हरियाली और रास्ता, पत्थर के सनम, हिमालय की गोद में, साधना, क्लर्क, आदि उनकी दूसरी चर्चित फिल्में हैं। इसके बाद साल 1967 में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के कहने पर मनोज कुमार ने फिल्म ‘उपकार’ बनाई, जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया
लेकिन क्या आपकोे पता है कि, मनोज कुमार दीलीप कुमार के बहुत बड़े थे और उन्होनें पहली बार दिलीप कुमार की फिल्म देखी तो इतने प्रभावित हुए कि अपने असली नाम हरिकृष्ण गोस्वामी को बदलकर "मनोज कुमार" रख लिया – क्योंकि दिलीप कुमार की एक फिल्म ‘शबनम’ में उनका किरदार मनोज नाम का था। बता दें कि, मनोज कुमार का विवाह शशि गोस्वामी से हुआ। वो अपने निजी जीवन में बेहद शांत, पारिवारिक और सादा जीवन जीने वाले व्यक्ति रहे हैं... हमेशा ग्लैमर और विवादों से दूर रहे मनोज कुमार का बेटा कुणाल गोस्वामी भी कुछ फिल्मों में दिखाई दिए लेकिन वे सफल नहीं हो पाए... आज मनोज कुमार के निधन पर फिल्मीजगत ने एक महान कलाकार और एक महान निर्देशक को खो दिया..
एक टिप्पणी छोड़ें